Sunday, 22 July 2012

भारतीय संस्कृति का अपमान और पतन


नमस्कार मित्रों
मेरी आज की ये पोस्ट भारतीय संस्कृति को छोड़ कर पाश्चत्य संस्कृति का अनुसरण करने वाली युवा पीदी के लिए है
आज आधुनिकता के नाम पर भारतीय संस्क्रती सभ्यता को गाली देना २१ वी सदी या यु कहे मोर्डेन लोगो के लिए फैशन बन चूका है
आज हमारे समाज मैं भारतीय सभ्यता संसकारो के उल्टा आचरण करने को ही आधुनिकता कहा जाने लगा है परन्तु वास्तव मैं उन लोगो को इस छदम आधुनिकता के भयानक परिणामों की जानकारी नहीं है

और आज हालत ये है की खुलेपन के नाम पर आज समाज मैं इंतनी जयादा गंदगी भर चुकी है की अगर इस गट्टर के ढक्कन को खोला तो शायद तथाकथित सभ्य समाज इसकी बदबू से मर जाये परन्तु इस गट्टर मैं गंदगी भी तो इसी सभ्य समाज की ही है

भारत वर्ष मैं स्त्री को सैदव देवी के सामान ही पवित्र और महान मन गया है यहाँ हमेसा स्त्री को बराबर का अधिकार या यु कहे की पुरुष के व्यक्तित्व का निर्माण ही नारी के हाथो मैं सौंप दिया गया था नारी ही कभी माँ बनकर संस्कार कभी बहन बनकर सलाह और पत्नी बनकर साथ देती रही और हमारे हिंदू समाज को कभी भी स्त्री पुरुष समानता जैसी बातों का सामना ही नहीं करना पड़ा
परन्तु वर्तमान मैं आजकल देखने को आता है की स्त्री अपनी मर्यादा को छोड़ रही है पाश्चत्य का अनुकरण करने वाले लोगो ने स्त्री को सामान अधिकार जैसे बेफालतू के मुद्दे जिनका हमरे समाज मैं कोई मतलब नहीं था का उपयोग करके उनको बरगलाया गया उनकी आजादी के नाम पर उनको पथ भरष्ट किया गया



आजकल फैशन के नाम पर मोर्डेन दिखने के नाम पर भडकाऊ, कम कपडे पहने का रिवाज सा बन गया है परन्तु क्या कम कपडे पहन भर लेने मात्र से कोई मोर्डेन या सभ्य बन जाता है ..........
अगर ऐसा है तो फिर आदवासी तो सबसे जयादा मोर्डेन और सभ्य हुए ..............
बार शिकायत की जाती है की छेड़छाड़ बलात्कार के मामलों मैं तेजी आ रही है परन्तु इसमें इन मोर्देनिन्टी का कितना रोल है इसे भी समझना चाहिए
आज इसी खुलेपन और पाश्चात्यकरण के कारण जिस देश मैं स्त्री देवी थी वहाँ वह भोग्या बन गयी है आज स्त्री को मात्र एक ही नजर से देखा जाता है और वो है भोग की नजर .............
परन्तु इसका जिमेदार कोन है ............क्या यही मोर्डेन सोच जिम्मेदार नहीं है ......................
पहले जहा रिश्तों की अहमियत थी शादियों पूरी जिंदगी चलती थी वही आजकल रिश्ते किसी चिप्स के पैकेट जैसे हो गए है खा कर फेंक दो ये जो कारन आया है उसके जिमेदार भी तो यही खुली सोच ही तो है
लेट night ko घर से बाहर शराब पीकर नाचना और अपनी तमाम मर्यादायो को छोड़ कर नीचता का पर्दर्शन करना भी इसी मोर्देनितिटी का हिस्सा ही तो रहा है
आज अवैध संबंधो की जितनी बाढ़ आई है और उनके कारण होने वाले अपराधों मैं जिस प्रकार रोज बढ़ोतरी हो रही है उसके पीछे कोन है ...........................................
लिव इन रेल्तिओंशिप जैसे खुले विचारों या मोर्डेन लोगो की भाषा मैं कहू तो क्रांति
और आजाद विचारों ने लोगो की किता आजाद किया है ये वही जाने परन्तु अगर धयान से देखे और विचार करे तो ये बात साफ़ है की इस खुलेपन ने लोगो को आजाद किया है या नहीं पता नहीं परन्तु हां लोगो को कभी न खतम होने वाली न जाने कितनी व्याधियों से जरुर जोड़ दिया है
अवसाद आत्महत्या अकेलापन जितना इन खुले और मोर्डेन विचार वाले युवायो मैं बढ़ रहा है उतना पुरातन विचार वालो मैं नहीं क्योकि हिंदू तो सैदव आधुनिक रहा है परन्तु उसे आधुनिक दिखने के लिए इस प्रकार की मर्यादा विहीन कार्य करने की जरुरत नहीं रही
और भोगो को भोगने मैं अंधे हुए दिशा विहीन हुए युवा अंदर से खोखले हो चुके है वो देश समाज धरम के लिए कार्य करेंगे ये केवल कल्पना ही है क्योकि जो खुद को नहीं संभल सकता वो इतनी बड़ी जिमेदारी का निर्वाह कैसे कर सकता है
आज रिश्तों की मर्यादीत सीमा मैं जो अतिक्रमण हो रहा है वो तथाकथित इसी मोर्डेन सोच के कारण है
इस मोर्डेन सोच ने हमें कुछ दिया है दिखयी नहीं दे रहा पर हां हमरे धरम और देश को विध्वंस की और जरुर ले गए है
आज एक डिस्को मैं शराब पीकर नग्न नाच करने वाली लड़की आदर्श माँ साबित होगी इसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती है
शराब पीकर और केवल भोगो मैं आसक्त कोई लड़का आदर्श पिता साबित होगा कल्पना करना कठिन है
ऐसे मैं हमरी आने वाली संताने कैसी होगी इसकी कल्पना सहज है और डराने वाली भी है
जिस देश मैं खुद भगवान जनम लेते है उस देश मैं कैसे संस्कार हीन पीढ़ी का जनम होगा ये वास्तविकता भोत भयानक है
हिंदू समाज को अगर अपना अस्तित्व बनाये रखना है तो उसे इस छदम आधुनिकता और वास्तविक आधुनिकता के बीच का फरक समझना होगा और इसे अपने युवा तक पहुचना होगा
क्योकि पश्त्याकरण एक प्रकार से ईसाइयत की तरफ परथम कदम होता है और ऐसे व्यक्ति दिमागी और दिली तोर पर ईसाइयत मैं रम जाते है
छदम आधुनिकता के कारन ही भारत मैं स्कुलरिस्म का जनम हुआ है और ये स्कुलारिस्म हमरे हिंदू समाज को किस प्रकार से खोखला कर रहा है ये किसी से छुपा हुआ नहीं है


ऐसे मैं हिंदू धरम को रक्षा और सुरक्षा के लिए जिस युवा शक्ति की जरुरत है वो नहीं मिल पायेगी और फिर कभी हिंदू राष्ट्र का स्वपन नहीं देखा जायेगा

इसलिए जागो हिंदू जागो और इसके साथ ही सर्व हिंदू समाज को इस छदम आधुन्किता से मुक्त करवायें
मेरी ये पोस्ट महिलायों के कपड़ो को निशाना बनाने के लिए या पछमी सभ्यता को गलिया निकलने के लिए नहीं लिखी गयी है अपितु छदम आधुनिकता के नाम पर जिस प्रकार से हिंदू समाज को बरगलाया गया है और हमरी संस्क्रति को नष्ट करने और पश्चिमी सभ्यता की गंदगी और जूठन को समाज को परोसने का जो गन्दा खेल खेला जा रहा है उसके खिलाफ है

जय माँ भारती
 

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