मेरे एक मित्र ने कहा की ओम पर कुछ लिखे,मुझे समझ नहीं आ रहा था की क्या लिखू
पर फिर मैंने थोरा पर्यास करके इस पर एक कविता लिखी है ..........जो की मेरे गुरुजी को समर्पित है ...............................
ओम पर मेरी एक कविता ..............
आध्यात्म की हर शाखा मैं ओम का ही नाद है
जीवन है ओम यहाँ मर्त्यु भी ओम है
स्रष्टि की आदि और अन्त मैं भी ओम है
व्योम मैं भी ओम है धरा पर भी ओम है
जीवन के क्षण क्षण मैं बसा हुआ ये ओम है
शांति को अवलम्बित करता ये ओम है
क्रांति को प्रेरित भी करता ये ओम है
ओम ही स्रष्टा है ओम ही संहार है
जीवन के हर क्षण का ओम ही तो सार है
शक्ति भी ओम है भक्ति भी ओम है
नानक रैदास का नाम भी ये ओम है
मीरा का गिरधर नागर भी ये ओम है
कण कण मैं ओम है , क्षण क्षण मैं ओम है
मेरे तो जीवन का सार ही ये ओम है
ओम क्रांति
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